top of page

पंजाब कांग्रेस के दुश्मन कांग्रेसी ही हैं


पिछले दिनों, मेरे लेख 'पंजाब में कांग्रेस का आत्मघाती फैसला' अब वास्तविक स्वरूप ले रहा है। पंजाब में कांग्रेस की जीती बाजी हार की ओर संकेतिक है। सानिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्षा और राहुल गांधी पंजाब कांग्रेस के राजनैतिक संकट को सुलझाने में क्यों दिनोंदिन असमर्थ हैं? पंजाब में कांग्रेस की बनी बनाई ज़मीन को नवजोत सिंह सिद्धू को अध्यक्ष बनाने के फैसले को पूर्ण रूप से कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रतिष्ठा पर प्रहार माना जा रहा है। फिर भी कैप्टन ने बड़ा दिल दिखा कर, नवजोत सिंह सिद्धू के शपथ समारोह में हिस्सा लिया। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अनदेखा करते हुए कांग्रेस हाईकमान राजनैतिक रूप से अस्थिर व्यक्तित्व के बड़बोले नेता नवजोत सिंह सिद्धू को देकर, कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी राजनीतिक अदूरदर्शिता का परिचय दिया है। पंजाब कांग्रेस में जान फूंकने वाले और 2017 में जब पूरे देश में कांग्रेस का सफाया हो गया था, तब पंजाब में अपने बलबूते पर कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुख्य भूमिका है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अलग राह अपना लें तो कोई बड़ी बात नहीं है। 'पिपलज़ कैप्टन' अपने दम पर बाजी पलटने वाले नेता हैं और भाजपा बहुत करीब से पंजाब कांग्रेस की दंगल राजनीति को देख रही है। पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं। कैप्टन के पक्ष में दस विधायकों ने हाईकमान से आग्रह किया है कि पार्टी कैप्टन को अनदेखा न करे । सिद्धू जब तक कैप्टन से सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगते तब तक उनकी नियुक्ति का एलान न किया जाए। लेकिन सिद्धू की नियुक्ति का पत्र जारी कर दिया गया। कैप्टन ने हाईकमान के फैसले का सम्मान करते हुए सिद्धू को प्रधान बनाने पर सहमति जता दी थी । उनकी मामूली शर्त, कि सिद्धू उन पर की गई अभद्र टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें, को भी नवजोत सिंह सिद्धू ने नहीं माना।हाईकमान के अपने प्रति इस बर्ताव को कैप्टन अपमान के रूप में ले सकते हैं। कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू के साथ जिन नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है, वे भी सिद्धू के पक्षधर हैं। कुलजीत नागरा, पवन गोयल, सुखविंदर सिंह डैनी और संगत सिंह, सिद्धू खेमे के हैं। इस तरह प्रदेश कांग्रेस में अब कैप्टन और पुराने कांग्रेसियों का दबदबा खत्म सा हो गया है। कैप्टन समर्थक विधायकों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस का एकमात्र चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह ही हैं और उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस अगले चुनाव में पूरे विश्वास के साथ उतर कर जीत हासिल कर सकती है। विधायकों का यह भी कहना है कि 'सिद्धू प्रकरण' के कारण राज्य कांग्रेस की छवि आम जनता के बीच खराब हुई है।


नवजोत सिंह सिद्धू को कमान सौंपकर हाईकमान ने पार्टी को पटरी से उतार दिया है। दशकों से पंजाब में कांग्रेस के लिए तन-मन से समर्पित रहे नेता इस फैसले के बाद खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।


राजनीतिक रूप से आजकल कांग्रेस 'पार्टी इन क्राइसिस'। पंजाब ही एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस मज़बूत है। वह भी कैप्टन अमरिंदर सिहं के सियासी बूते पर। ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं है, जब कांग्रेस के राजनैतिक संकट में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इंदिरा गांधी, राजीव गाँधी, पी.वी. नरसिम्हा राव, सोनिया गांधी, डा. मनमोहन सिंह आदि को पूर्ण सहयोग न दिया हो। पार्टी के प्रति वफादारी का यह सिला तो नहीं होना चाहिए था। किसान आंदोलन में जिस प्रकार कैप्टन ने सूझबूझ से पंजाब में कांग्रेस की सियासी ज़मीन मजबूत की है, उसमें कांग्रेस को लाभ है। अभी प्रताप सिंह बाजवा, सुनील जाखड़, मनप्रीत बादल राणा गुरमीत सिंह, ब्रह्म मोहिंद्रा, ओम प्रकाश सोनी, चरण जीत सिंह चन्नी समेत अनेक दिग्गज वरिष्ठ कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हैं। कैप्टन को 'पिपलज़ कैप्टन' उनकी जन मानस में लोकप्रियता के कारण कहा जाता है। पंजाब कांग्रेस में नया नेतृत्व 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद तैयार करना चाहिए था। अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल ने नवजोत सिंह सिद्धू को 'मिसगाइडेड मिसाइल' कहा था। कांग्रेस को यह बात समझनी चाहिए थी। 2017 में ही तो सिद्धू ने कांग्रेस का हाथ पकड़ा है। चार वर्षोप्रांत ही वह मुख्यमंत्रित्व की ओर केंद्रित है। पाकिस्तान सीमा से सटा पंजाब बहुत संवेदनशील राज्य है, वहां ड्रग्स-माफिया के साथ, भारत विरोधी खालिस्तानी ताकतें सक्रिय हैं। आतंकवाद और उग्रवाद को नियंत्रित करना, पंजाब के लिए महत्वपूर्ण है। 'सिक्सर सिद्धू' के रन आउट होने की संभावना प्रबल हो गई है। मलविंदर माली ने कहा, 'कैप्टन अमरिंदर सिंह की लिखित कारगुजारी की जगह आज कुछ और लोगों की बात कर रहा हूँ"। लोग यह बात भूल जाएं कि "नवजोत सिंह सिद्धू ऐसी अली बाबा 40 चोर की बारात का लाडा बनेगा"। पंजाब कांग्रेस के पांच अध्यक्षों में नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार, मालविंदर माली ने एक बार फिर अपने ही मुख्यमंत्री पर तंज कसा और कहा है कि "पंजाब के अंदर अली बाबा और 40 चोरों का बोलबाला है"। यह महत्वपूर्ण है कि मालविंदर माली अपने बयानों से लगातार सुर्खियों में हैं और लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की कैबिनेट पर निशाना साधते हुए मालविंदर माली ने कहा कि विजय इंदर सिंगला, पी.डब्ल्यू.डी. डिपार्टमेंट में बड़े-बड़े घोटाले कर रहे हैं। वहीं माली ने लुधियाना लोकसभा से पूर्व सांसद मनीष तिवारी को 'भगोड़ा' करार दिया। माली ने दावा किया कि अब पंजाब में सबकुछ बदलेगा। पंजाब कांग्रेस, कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच सुलह कराने की कांग्रेस आलाकमान की कोशिशें असफल हो चुकी हैं। दोनों गुटों में एक बार फिर से तल्ख तेवर दिख रहे हैं। सिद्धू गुट पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावती रुख अपनाने के एक दिन बाद, चार कैबिनेट मंत्री देहरादून में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव हरीश रावत से मुलाकात करने पहुंचे ।सूत्रों ने बताया कि चार मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी, एआईसीसी महसचिव-पंजाब हरीश रावत से मिले। रावत से मुलाकात के बाद वे दिल्ली भी गये। ये मंत्री अमरिंदर सिंह के विरोधी हैं। इनके साथ करीब 24 विधायकों ने मंगलवार को यहां बैठक की और मुख्यमंत्री को हटाने की मांग करते हुए कहा कि वादे पूरे न करने को लेकर उनका ‘मुख्यमंत्री पर से भरोसा उठ गया है'। उन्होंने 2015 में एक धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी किए जाने के मामले में न्याय में देरी और ड्रग्स एवं मादक पदार्थ गिरोहों में शामिल ‘बड़े लोगों’ की गिरफ्तारी जैसे चुनावी वादे पूरे न करने को लेकर मुख्यमंत्री की क्षमता पर सवाल उठाएँ हैं। उन्होंने कहा कि वे पार्टी की भावनाओं से अवगत कराने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर विवादास्पद टिप्पणियां करने के लिए पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों की कड़ी आलोचना के बीच यह बैठक की। मुख्यमंत्री बदलने की मांग ने पंजाब कांग्रेस में एक नया संकट पैदा कर दिया है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि सिद्धू की नियुक्ति के साथ कांग्रेस की प्रदेश इकाई में असंतोष को दबाने के पार्टी के हालिया प्रयास विफल रहे हैं। असंतुष्ट नेताओं के एक समूह का नेतृत्व कर रहे, प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात का समय मांगेंगे और उन्हें राजनैतिक स्थिति से अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि "कठोर’ कदम उठाने की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री बदलने की आवश्यकता है तो यह भी किया जाना चाहिए"। यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री को हटाने की कोशिश की जा रही है, बाजवा ने पत्रकारों से कहा कि यह कोशिश नहीं है बल्कि जनता की मांग है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में एक धारणा बन गयी है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और शिरोमणि अकाली दल की एक-दूसरे के साथ ‘मिलीभगत’ है।

निष्कर्षार्थ यह कहना उचित होगा कि पंजाब कांग्रेस में विश्वासघातियों के कारण कांग्रेस को राजनैतिक क्षति

पहुंचेगी। इतनी गुटबाज़ी क्या भाजपा में बर्दाश्त होती? क्या कारण है कि बार बार पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस दिग्गज अमरिंदर सिंह को पदग्रसत करना चाहते हैं? कांग्रेस के दुश्मन कांग्रेसी ही हैं। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के बिना 'कांग्रेस मुक्त' पंजाब की संभावना प्रबल है।



Comments


bottom of page