सरकार ये विधेयक संविधान प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप लाई है और पूरी तरह संवैधानिक है और इस बिल में निर्वाचन की किसी प्रक्रिया के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है |
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री ने अपना प्रस्ताव रखते हुए कहा, ये सदन देश की सबसे बड़ी पंचायत है और 130 करोड़ की आबादी इस सदन की कार्यवाही को देखती है , ये विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए के प्रदत्त संविधान के अनुसार लाया गया है और संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए 3 बी के तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के बारे में उससे संबंधित किसी भी विषय पर क़ानून बनाने का अधिकार प्राप्त है।
सरकार ये विधेयक संविधान प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप लाई है और पूरी तरह संवैधानिक है और इस बिल में निर्वाचन की किसी प्रक्रिया के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। ये बिल पूर्णतया संविधान प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप लाया गया है और इसमें संघ राज्य की शक्तियों का अतिक्रमण नहीं है। संसद के पास संघशासित प्रदेश से संबंधित किसी भी मामले में क़ानून बनाने का अधिकार है। हर दल को अपनी विचारधारा लेकर पूरे देश में हर जगह जाना चाहिए और यही लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है। आपत्ति उन्हें हो सकती है जिन्हें सत्ता छिनने का डर हो, हमारी सरकार की परफॉरमेंस के दम पर हमें कोई डर नहीं है।
दो बार देश की जनता ने हमें दो तिहाई बहुमत दिया है
हम उन पार्टियों की तरह विपक्षी कार्यकर्ताओं को मारकर और हिंसा करके सत्ता हथियाना नहीं चाहते, ऐसे लोग हमें लोकतंत्र की सीख न दें। जिनकी अपनी ही पार्टी एक परिवार के आधार पर चलती है, वो पहले अपनी पार्टी में तो चुनाव करा लें, उन्हें देश की बात नहीं करनी चाहिए। सबसे ज़्यादा राज्यों में आज हमारी पार्टी की सरकार है और लगातार दो बार देश की जनता ने हमें दो तिहाई बहुमत दिया है।
कश्मीर में करवाए पंचायत चुनाव फिर लागू हुई डीलिमिटेशन
दिल्ली दंगों में अब तक 2473 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, 409 चार्जशीट दाखिल हुईं, 83 लोगों को ज़मानत मिली है। कश्मीर में, जैसा हमने कहा था, पहले पंचायत चुनाव हुए, फिर डीलिमिटेशन और फिर सभी दलों से चर्चा करके चुनाव होंगे।
तीनों निगमों का एकीकरण
2012 से 2022 तक इसका जो अनुभव हमारे सामने आया है उसका विश्लेषण कर जो तथ्य सामने आए हैं, उसके आधार पर सरकार इस निर्णय पर पहुँची है कि इन निगमों को फिर से एक कर पूर्ववत स्थिति की जाये
दिल्ली नगर निगम का बंटवारा आनन फानन में किया गया था और इसके विभाजन का कोई उद्देश्य नज़र नहीं आता | जब कोई उद्देश्य ही नज़र नहीं आता तो ऐसे में विचार जरूर होता है कि शायद इसका बंटवारा राजनीतिक उद्देश्य से किया गया होगा |
तीनों निगमों के 10 साल चलने के बाद यह सामने आया है कि तीनों निगमों की नीतियों में एकरूपता नहीं है
निगमों के कार्मिकों की सेवा शर्तों और स्थितियों में भी एकरूपता नहीं रही है, जिससे कार्मिकों में काफ़ी असंतोष नज़र आया है | तीनों निगमों के एकीकरण से पहले डीलिमिटेशन हो ही नहीं सकता क्योंकि क्षेत्र के आधार पर वार्डों की संख्या तय होगी। तीन निगम में बांटने के बाद दिल्ली के वित्त आयोग ने 40561 करोड़ रूपए देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने 7 हज़ार करोड़ ही दिए |
निगम बनने के बाद आज 11000 करोड़ का घाटा है, क्योंकि 32000 करोड़ रूपए नहीं दिए गए, अगर दे देते तो 20000 करोड़ सरप्लस होता और दिल्ली के लोगों के काम आता, इस मुद्दे को राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए |
केन्द्र ने कई प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजे, लेकिन या तो वो निरस्त कर दिए गए या कोई जवाब ही नहीं आया
व्यावसायिक कर के संबंध में मार्च 2020 में एक दरख़्वास्त गई थी, अभी तक कुछ नहीं हुआ, दिल्ली के अनुमोदित बजट में भी कटौती की |
दिल्ली सरकार के पास अगर धन की कमी है तो इतने विज्ञापनों के लिए पैसे कहां से आते हैं, झूठ लंबा नहीं चलता, टिक नहीं पाएगा, निगमों को संसाधन बढ़ाने से भी रोका गया |एकीकृत नगर निगम करने से 3 की जगह एक मेयर होगा, 3 कमिश्नर की जगह एक कमिश्नर होगा, एक ही मुख्यालय होगा, एक ही शहर में अलग-अलग कर स्ट्रक्चर नहीं होंगे |
यहां के नगर निगम की सिविक सेवाओं से पूरी दुनिया में देश की छवि बनती है| ये बिल हम दिल्ली नगर निगम की सेवाओं को चुस्त दुरूस्त करने के उद्देश्य से लाए हैं, नगर निगम को स्वावलंबी बनाने के लिए लाए हैं|
सभी से निवेदन है कि पक्ष-विपक्ष से ऊपर उठकर इसे अनुमोदित करें |
मोदी जी के नेतृत्व में कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई
मोदी जी के नेतृत्व में कोरोना के ख़िलाफ़ देश में जो लड़ाई लड़ी गई उसकी पूरी दुनिया ने प्रशंसा की
130 करोड़ की आबादी को टीका लगाना, मोबाइल पर सर्टिफिकेट मिल जाना, 9 दिन में ऑक्सीजन के उत्पादन को 12 गुना बढ़ाना, पूरी दुनिया से क्रायोजेनिक टैंकर लाकर उन्हें पूरे देश के कोने कोने में भेजकर लाखों लोगों की जान बचाना | विपक्षी सरकारों और मुख्यमंत्रियों ने भी मोदी जी का धन्यवाद किया और प्रधानमंत्री जी ने भी अच्छे काम के लिए सभी मुख्यमंत्रियों का धन्यवाद किया| | दिल्ली के अस्पताल में लाशों के ढेर लगे, थे, अंतिम संस्कार नहीं होते थे, वैक्सीन का फॉर्मूला नहीं था, इन सबका उपाय मोदी जी ने किया |
हम चुनाव से नहीं डरे हैं क्योंकि डरने का स्वभाव हमारा नहीं है और हम मानते हैं कि चुनाव में हार-जीत तो होती रहती है|
जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा जी का चुनाव रद्द कर दिया था तब उन्होंने इमरजेंसी लगा दी थी, उसे डर कहते हैं और इमरजेंसी डरकर लाई गई थी, सभी लोकतांत्रिक पार्टियों, लोगों को डर कर जेल में डाल दिया गया था| उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी 349 सीटों पर चुनाव लड़ी, सभी पर ज़मानत ज़ब्त
गोवा में आप 39 सीटों पर लड़ी, 35 पर ज़मानत ज़ब्त, कांग्रेस की हाल के चुनावों में 475 सीटों पर ज़मानत ज़ब्त हुई| हमारी पार्टी का कार्यकर्ता किसी से नहीं डरता है, हमने 4 राज्यों में सरकार बनाई है, मोदी जी के नेतृत्व में हम दिल्ली में भी जीतेंगे| हम जब संख्या में 2 थे तब भी नहीं डरे, और, अब तो 300 से अधिक हैं तो अब क्यों डरें, ये जनता का फ़ैसला है, अहंकार की बात नहीं|
दिल्ली नगर निगम की सेवाओं को चुस्त दुरूस्त करने के उद्देश्य व नगर निगम को स्वावलंबी बनाने के लिए लाया गया बिल
निगम बनने के बाद आज 11000 करोड़ का घाटा है, क्योंकि 32000 करोड़ रूपए नहीं दिए गए, अगर दे देते तो 20000 करोड़ सरप्लस होता और दिल्ली के लोगों के काम आता, इस मुद्दे को राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।
केन्द्र ने कई प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजे, लेकिन या तो वो निरस्त कर दिए गए या कोई जवाब ही नहीं आया।
व्यावसायिक कर के संबंध में मार्च 2020 में एक दरख़्वास्त गई थी, अभी तक कुछ नहीं हुआ, दिल्ली के अनुमोदित बजट में भी कटौती की।
दिल्ली सरकार के पास अगर धन की कमी है तो इतने विज्ञापनों के लिए पैसे कहां से आते हैं, झूठ लंबा नहीं चलता, टिक नहीं पाएगा, निगमों को संसाधन बढ़ाने से भी रोका गया। एकीकृत नगर निगम करने से 3 की जगह एक मेयर होगा, 3 कमिश्नर की जगह एक कमिश्नर होगा, एक ही मुख्यालय होगा, एक ही शहर में अलग-अलग कर स्ट्रक्चर नहीं होंगे। यहां के नगर निगम की सिविक सेवाओं से पूरी दुनिया में देश की छवि बनती है।
ये बिल हम दिल्ली नगर निगम की सेवाओं को चुस्त दुरूस्त करने के उद्देश्य से लाए हैं, नगर निगम को स्वावलंबी बनाने के लिए लाए हैं।
2012 से 2022 तक इसका जो अनुभव हमारे सामने आया है उसका विश्लेषण कर जो तथ्य सामने आए हैं उसके आधार पर सरकार इस निर्णय पर पहुँची है कि इन निगमों को फिर से एक कर पूर्ववत स्थिति की जाये
दिल्ली नगर निगम का बंटवारा आनन फानन में किया गया था और इसके विभाजन का कोई उद्देश्य नज़र नहीं आता। जब कोई उद्देश्य ही नज़र नहीं आता तो ऐसे में विचार जरूर होता है कि शायद इसका बंटवारा राजनीतिक उद्देश्य से किया गया होगा।
तीनों निगमों के 10 साल चलने के बाद यह सामने आया है कि तीनों निगमों की नीतियों में एकरूपता नहीं है।
निगमों के कार्मिकों की सेवा शर्तों और स्थितियों में भी एकरूपता नहीं रही है, जिससे कार्मिकों में काफ़ी असंतोष नज़र आया है।
एक निगम आय की दृष्टि से हमेशा सरप्लस रहेगा
तीनों निगमों के बीच संसाधनों और दायित्वों का भी सोच समझकर बंटवारा नहीं किया गया, एक निगम आय की दृष्टि से हमेशा सरप्लस रहेगा जबकि बाक़ी दोनों निगमों की जिम्मेदारी ज्यादा होगी लेकिन आय कम होगी
निगमों को बांटते वक्त उनके संसाधनों की प्राप्ति और ख़र्चो में संतुलन नहीं देखा गया, इस कारण चुनकर आए जनप्रतिनिधियों को निगम चलाने में बहुत तकलीफ होती है।
दिल्ली सरकार इन निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है और इस कारण इन नगर निगमों के पास अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
तीनों नगर निगमों को एक कर दिल्ली नगर निगम को फिर से एक बनाया जाए, संसाधन, सहकारितावादी और सामरिक योजना की दृष्टि से एक ही निगम पूरी दिल्ली की सिविक सेवाओं का ध्यान रखे। नगर निगम की सेवाओं को और दक्षता व पारदर्शिता के साथ चलाया जाए | पार्षदों की संख्या को 272 से कम कर अधिकतम 250 तक सीमित किया जाए।
नागरिक सेवाओं को कहीं भी और कभी भी के सिद्धान्त के आधार पर व्यवस्थित किया जाए। सभी सदस्यों से अनुरोध है कि इस बिल को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश की राजधानी की व्यवस्था का मामला समझकर बहुत गंभीरता के साथ इस पर विचार करें।
इस विधेयक के पास होने के बाद अभी जो स्थिति है उसमें काफी सुधार होगा, इसके अलावा केंद्र सरकार की इस बिल के पीछे और कोई मंशा नहीं है।
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