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NIA, ED ने आतंकी गतिविधियों को लेकर 10 राज्यों में छापेमारी की, PFI से जुड़े 100 लोग हिरासत मे

सूत्रों ने कहा कि एजेंसियां ​​इस संदेह के आधार पर काम कर रही थीं कि जिन लोगों की जांच की जा रही है वे कथित तौर पर आतंकी कैंप आयोजित करने और युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने में शामिल थे।

नई दिल्ली: राष्ट्रिय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यालयों (PFI) और 10 राज्यों में PFI राज्य और जिला स्तर के नेताओं के घरों पर आतंकी गतिविधियों में कथित संलिप्तता को लेकर तलाशी ली। उन्होंने तलाशी के तहत PFI से जुड़े करीब 100 लोगों को भी हिरासत में लिया।


अधिकारियों ने खोजों को "अब तक की सबसे बड़ी जांच प्रक्रिया" करार दिया। एजेंसियां ​​इस संदेह के आधार पर काम कर रही थीं कि जिन लोगों की जांच की जा रही है वे कथित तौर पर आतंकी कैंप आयोजित करने और युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने की गतिविधियों में शामिल थे।


सूत्रों ने कहा, "हमने उनके खिलाफ कुछ महत्वपूर्ण सबूत मिलने के बाद छापे मारने का फैसला किया है और हम कथित तौर पर आतंकी फंडिंग में शामिल लोगों के परिसरों की तलाशी ले रहे हैं और ऐसे प्रशिक्षण शिविरो की जांच कर रहें है जो लोगो को पीएफआई में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बना रहे हैं।" सूत्रों ने कहा कि पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नजीर पाशा के आवास सहित बेंगलुरु और कर्नाटक के अन्य हिस्सों में कम से कम 10 स्थान एनआईए की जांच का हिस्सा थे।


पुलिस सूत्रों ने कहा कि मंगलुरु में, एनआईए ने पीएफआई और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के बाजपे, नेल्लिकई रोड, कुलाई और कावूर में कार्यालयों की तलाशी ली। समाचार एजेंसी ने बताया कि दो लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि एसडीपीआई और पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने अपने कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारियों ने नेल्लिकई मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया था क्योंकि शहर में सभी स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।


एनआईए ने छापेमारी करने से पहले राज्य पुलिस को कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए सभी उचित सुरक्षा व्यवस्था करने को कहा।


जवाब में, पीएफआई ने एक बयान में कहा, "हम असहमति की आवाज़ को शांत करने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल करने के लिए फासीवादी शासन के कदमों का कड़ा विरोध करते हैं।" पीएफआई ने एक बयान में कहा, "छापेमारी सिर्फ राज्य समिति कार्यालय पर ही नहीं की जा रही है बल्कि राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय नेताओं के घरों पर भी हो रहे हैं।

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